हिंदू रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों में, विशेष रूप से घरेलू पूजा के दौरान, विशिष्ट प्रथाओं का पालन करना महत्वपूर्ण है। एक सामान्य प्रश्न जो अक्सर उठता है वह यह है कि पूजा के दौरान बैठना चाहिए या खड़ा रहना चाहिए। आइए जानें बैठने का महत्व और भगवान की पूजा करने की सही विधि।
बैठने का महत्व:
हिंदू मान्यताओं में पूजा के दौरान खड़े रहना अशुभ माना जाता है। खड़े होकर भगवान की पूजा करने से वांछित फल नहीं मिल पाता है। पूजा के दौरान आसन (चटाई) पर बैठने की सलाह दी जाती है। अनुष्ठान करते समय आसन को फर्श पर रखें और उस पर बैठें।
सिर ढकना:
पूजा का एक और महत्वपूर्ण पहलू सिर को ढकना है। पूजा करते समय स्त्री-पुरुष दोनों को सिर पर कपड़ा पहनना चाहिए। यह परमात्मा के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक है।
पूजा करने के लिए दिशानिर्देश:
स्थान: पूजा के दौरान पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके वास्तु शास्त्र के दिशानिर्देशों का पालन करें। दाहिनी ओर घंटी, धूप, दीपक और आवश्यक वस्तुएं जैसी वस्तुएं अनुकूल मानी जाती हैं, जो शांति, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद लाती हैं।
माथे का तिलक: पूजा के दौरान माथे पर तिलक लगाएं, जो भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। नंगे या गंजे माथे से पूजा करने से बचें।
एक समर्पित पूजा कक्ष का निर्माण, इन दिशानिर्देशों पर विचार करें:
स्थान: आदर्श स्थिति उत्तर-पूर्व दिशा में है, जो शांति, धन और खुशी लाती है।
आयाम: पूजा कक्ष का आकार आनुपातिक होना चाहिए, चौड़ाई आदर्श रूप से ऊंचाई से दोगुनी होनी चाहिए।
अशुभ स्थानों से बचना:
शौचालय निकटता: सुनिश्चित करें कि कोई भी शौचालय पूजा कक्ष के ऊपर, नीचे या उसके निकट न हो।
सीढ़ियों के नीचे: स्थान की पवित्रता का सम्मान करते हुए सीढ़ियों के नीचे पूजा कक्ष बनाने से बचें।
इन अनुष्ठानों और दिशानिर्देशों का पालन करके, पूजा के लिए एक पवित्र स्थान बनाएं, यह सुनिश्चित करें कि आपकी पूजा अत्यंत श्रद्धा के साथ की जाए। आपकी भक्ति आपको उस दिव्य आशीर्वाद के करीब लाए जो आप चाहते हैं।